वृन्दावन के कन्हैया का कृष्ण-मृग
वृन्दावन के कन्हैया का कृष्ण-मृग संरक्षित घोषित हो चुके इस खूबसूरत हिरन के अब दर्शन अब दुर्लभ होते जा रहे है। लगभग 70 से 90 किलोमीटर प्रतिघन्ते की रफ्तार से कुलांचे भरते हुये भागने में माहिर, कृष्ण मृग भारत और पाकिस्तान के मैदानी इलाकों, बिखरे हुये जंगलों, रेगिस्तानी व पर्वतीय क्षेत्रों, तटीय इलाकों में पाये जाते थे। अंधाधुन्ध शिकार करने और पैसा कमाने की प्रवृत्ति से आज इस जानवर की जनसंख्या बहुत कम रह गई है। इस मृग की वयस्क श्रेणी में त्वचा का रंग काला व आंख के चारोओर, ठोडी, पेटस पैरों के अन्दरूनी भाग का रंग सफेद होता है। मादा और कृष्ण मृग के बच्चे का रंग स्याह होता है। प्रजनन की शक्ति समाप्त हो जाने पर नर कृष्ण मृग का रेग बहुत हल्का पड़ जाता है। नर कृष्ण मृग लगभग 3 से 4 फीट लम्बा व 30 से 40 किग्रा वजन का होता है। मादा इससे छोटी होती है और इसका वजन भी 20 से 30 किग्राम के लगभग होता है। इस मृग की सबसे अधिक सुन्दरता, इसके पेचदार चूड़ियों के कट में 'V' आकार के घुमावदार सींगों में हैं, जिनकी लम्बाई लगभग 80 सेंटीमीटर के आसपास होती है। वयस्क पर भृग अपने झुण्ड का सरदार ...